राम
राम जीवन में मर्यादा का पालन करते हुए मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए। जीवन की आपाधापी में हम वैसे तो सारी सुविधाओं को हासिल करने के लिए कुछ भी करने के लिए उतारु रहते हैं लेकिन मर्यादा को बनाए रखने या उसे हासिल करने की बात भी करने से हिचक रहे हैं। भले ही समय के साथ रामनवमी की शोभायात्रा हाइटेक हो गई हो लेकिन यह भी सच है कि हम नई पीढ़ी को राम की कहानियों से दूर करते जा रहे हैं। हम सब नई पीढ़ी को उस मर्यादा पुरुषोत्तम की बात सुनाना या पढ़ाना नहीं चाहते हैं जो विषम परिस्थितियों में भी नीति सम्मत रहे। जिन्होंने वेदों और मर्यादा का पालन करते हुए सुखी राज्य की स्थापना की। स्वयं की भावना व सुखों से समझौता कर न्याय और सत्य का साथ दिया। राम की सेना में पशु, मानव व दानव सभी थे और उन्होंने सभी को आगे बढ़ने का मौका दिया। केवट हो या सुग्रीव, निषादराज या विभीषण। वे न केवल कुशल प्रबंधक थे, बल्कि सभी को साथ लेकर चलने वाले थे। वे सभी को विकास का अवसर देते थे। आज भी मर्यादा पुरुषोत्तम राम का जन्मोत्सव तो धूमधाम से मनाया जाता है पर उनके आदर्शों को जीवन में नहीं...