प्यार क्या है ?
मनुष्यता के इतिहास में जिन प्रश्नों पर सबसे अधिक चिंतन हुआ है उसमें से एक ये है प्यार क्या है। तमाम प्रश्नो कि तरह इसका भी एक सही जवाब आजतक नहीं मिल पाया। जिस तरह दो लोगों के फिंगर प्रिंट एक तरह नहीं हो सकते उसी तरह दो लोगों की प्रेम कि समझ और उसकी परिभाषा एक जैसी नहीं हो सकती। इस संसार में जितने लोग हैं प्रेम को पाने और प्रेम और प्रेम को समझने के उतने तरीके हो सकते हैं। इसके बावजूद प्रेम की कोई एक मान्य परिभाषा नहीं हो सकती। जिस चिज को मैं प्रेम मानूंगा कोई दुसरा व्यक्ति उसे वासना कहने लगेगा कोई तीसरा व्यक्ति उसे लालच कहने लगेगा। प्रेम की सबकी परिभाषाएं अलग अलग हो जाती हैं। जब कोई ये कहता है कि प्यार वो अनुभूति है जो हमें अकेला होने से बचाती है या मेरे चेहरे पर मुस्कान ला देती है या जिंदगी की झुलसा देने वाली आग के बीच मेरी आत्मा पर पानी की शीतल बूंदें बरसाती है तब भी हम प्यार कि परिभाषा नहीं कर पाते हम प्यार कि उपयोग के बारे में चर्चा कर रहे होते हैं। और तब मात्र प्यार हीं नहीं प्यार से जुड़ी तमाम कलाओं की परिभाषा लगभग असम्भव है। हम क्या करते हैं हम उपयोग को परिभाषा समझने ...