रंगोत्सव
इस सप्ताह दुनिया ने रंगों से सराबोर नई शुरुआत का त्योहार, होली मनाया। लेकिन दुनिया के रंग-बिरंगे रंगों में रंगने से पीछे एक कहानी है जिसे हम सभी जानते हैं - होलिका दहन। यह भ्रम और अहंकार का प्रतीकात्मक दहन है। यह अहंकार पर विश्वास और धोखे पर सत्य की जीत का प्रतीक है। लेकिन होलिका और प्रह्लाद की कथा से परे, क्या इसके पीछे कोई और भी सन्देश है? निश्चित रूप से। मानव जीवन स्वयं ही अग्नि है। कैसे ? ऐसे, कि जीवन के प्रत्येक मोड़ पर, हर अग्नि कि लपट के साथ आपके अस्तित्व को भी परखा जा रहा है। इसमें आपकी भावनाएं, आपकी आकांक्षाएं, अनुभूतियाँ - समस्त सम्मिलित हैं। जीवन के उतार-चढ़ाव, हर कठिनाई, हर हानि, हर संघर्ष आपको नष्ट करने के लिए नहीं बल्कि आपको शुद्ध करने के लिए है। यही वजह है कि आग अंधाधुंध नहीं जलती- यह मिथ्या को राख में बदलकर, जो सत्य है उसे उजागर करती है। यह तपस्या का सार है, क्योंकि यह परिवर्तन की आध्यात्मिक अग्नि है। यह दुःख समझने के लिए जानबूझकर दुःखी रहने के बारे में नहीं है। यह जीवन की आग में स्वेच्छा से कदम रखने के बारे में है उन अनावश्यकताओं को त्यागने के बारे में, जो हमें शुद्धि ...