ग्रामीण भारत में मेला का महत्व बहुत अहम हो जाता है, यह न केवल एक स्थान पर एकत्र होने का अवसर होता है, बल्कि वैश्विकरण का वैश्विक ग्रामीण स्वरुप आपको दिखाई पड़ेगा, जिसमें विभिन्न गांवों के उत्पाद एवं सम्मान आपको मिल जायेंगे। इक्कीसवीं सदी के शुरुआत में मोबाइल इंटरनेट का दौर नहीं था, मनोरंजन के साधन एकमात्र रेडियो एवं कुछ एक जगहों पर टेलिविजन हीं थे। छुट्टियों में क्रिकेट एक महत्वपूर्ण काम होता था, वैसे विद्यालय से आने के उपरांत क्रिकेट दैनिक जीवन का हिस्सा रहता था, मकर संक्रांति पर अंतर ग्रामीण क्रिकेट मैच का जलवा था। गांगुली, द्रविड़, सहवाग को क्रिकेट खेलते रेडियो पर विनीत गर्ग, दोशी जी, जैसे कॉमेंटेटर से आंखों देखा हाल सुनना अलग हीं रोमांचकारी था, गिलक्रिस्ट, हेडेन, मुरलीधरन महान क्रिकेटर थे। हमारे गांव के भी क्रिकेटर थे जैसे नन्द किशोर जी, चंदन शर्मा, हरफनमौला पीटूं जी, रंधीर, पिंटू ( उथप्पा) ,राहुल, राहुल , बुट्टी, एवं अन्य, जो बल्लेबाजी एवं गेंदबाजी में बेहतरीन प्रदर्शन करते थे। प्रिय छोटु जी क्रिकेट के जानकार थे दुनिया के हर एक खिलाड़ी का लेखा-जोखा रखते थे। अब वैश्...
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