सर्द सुबह

सर्द सुबह में
सुरज भी
कोहरे की चादर तान
करवट ले अलसा रहा है, 

उसे भी नहीं छोड़ना
अपना बिछौना,
आँखे मींच,
धुंध में छुपा जा रहा है... 

प्रतीक्षित आँखे
राह तकती है, 
क्या सूरज को भी
अपना सूरज
नजर नहीं आ रहा है..?

Comments

Popular posts from this blog

स्वयं की अंतर यात्रा

आश्रय

मेला