काशी

सबके हिस्से एक शहर आता है। उस शहर के हिस्से  आप आते हैं। लेकिन जिसके हिस्से बनारस आता है,उसके कई हिस्से हो जातें हैं। संयोग से मेरे हिस्से बनारस आया था और मैं बनारस के हिस्से। मेरे हिस्से का बनारस,आधा गंगा में है, कुछ गलियों में, कुछ घाटों की सीढ़ियों में और सबसे ज्यादा दिल में।

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