इश्क के तीन तह!
इश्क के तीन मुकाम होते हैं !
पहला मुकाम है जब लड़की और लड़का एक दूसरे के प्रति सेक्सुअली आकर्षित होते हैं ।
यहां आकर्षण का एक मात्र कारण सेक्स होता है ।
शुद्ध सेक्स , यह एक दम शरीर के तल का स्टेप है ।
सबसे अधिक पीड़ा भी इसी तल पर होती है। आकर्षण खिंचती है, दोनों एक दूसरे से सेक्स करना चाहते हैं ।
यौन तृप्ति चाहते हैं । इसमें यदि बाधा उतपन्न हो किसी भी कारण से तो भारी पीड़ा होती है ।
यह जो लोग कहते हैं कि इश्क में बहुत तकलीफ होती है, वह वस्तुतः यही तकलीफ है ।
वह सेक्स की तकलीफ है ,वह यौन अतृप्ति है ।
दूसरा मुकाम बुद्धि का मुकाम है ,इंटेलेक्ट का मुकाम है ,मेंटल आकर्षण का स्टेज है ।
जब सेक्स की आंच धीमी पड़ती है ,जब सेक्स में कोई बाधा नही रहती है ।
जब दोनों साथ रहते हैं और जब मर्जी तब सेक्स करने के लिए स्वतंत्र रहते हैं, सेक्स करते हैं तृप्त होते हैं ।
तब मेंटल ट्यूनिंग है जो इश्क को अगले स्टेप पर ले जाती है, बुद्धि के लेवल पर ,नही बैठे ट्यूनिंग तब एक खिंचाव उतपन्न होता है ।
दोनों को ही लगता है कि दोनों ही एक दूसरे की बात नही समझ रहे हैं ।
द्वंद उतपन्न होता है ,इस द्वंद की वजह से सम्भोग में भी वह चरम सुख नही मिल पाता है जो मिलना चाहिए ।
लेकिन यदि बुद्धि का लेवल भी सेम हो तब तो आकर्षण और प्रगाढ़ हो जाता है । इंटेलेक्ट में ट्यूनिंग हो तब जो इश्क निखरता है वह अद्भुत होता है ।
दोनों जानते हैं ; दोनों एक दूसरे को समझते हैं । इस समझ से इश्क इतना संघनित हो जाता है कि दो जिस्म एक जान हो जाते हैं ।
इश्क का तीसरा मुकाम स्वतन्त्रता का मुकाम है ,मौन का मुकाम । जब शरीर भी तृप्त हो, बुद्धि भी संतुष्ट हो तब दोनों स्वतन्त्र हो जाते हैं ।
दोनो मुक्त हो जाते हैं, होते साथ ही हैं लेकिन ऐसे होते हैं जैसे दो स्वतन्त्र चेतना ।
जैसे दो स्वतन्त्र व्यक्तित्व ,यह इश्क का शिखर है।
अधिकांश मामले में लोग पहले लेवल से उठ ही नही पाते इसलिए इश्क में इतना दुख पाते हैं । सेक्स भिखारी बना देता है ।
सेक्स की आग दरिद्र बना देती है , वासना इंसान को कुत्ता बना देती है ।
जब तक सेक्स तृप्त न हो इश्क को उसके उत्कृष्ट रूप में महसूस ही नही किया जा सकता !
कोई उपाय ही नही है ।
वस्तुतः इश्क का पहला मुकाम इश्क है ही नही ।
यह वासना ही है ।
इश्क तो वह है जो तीसरे मुकाम पर है ।
हमेशा याद रखें प्रथम तल का जो इश्क है उसको पाना आसान है परंतु तिसरे तल का थोड़ा कठिन।
आजकल जो वैश्विक स्तर पर मानसिक तनाव की स्थिति है उसका सबसे प्रमुख कारण बोध का अभाव है।
इसलिए चीज़ों को जानना जरूरी है, बोध होना जरूरी है तभी आप मानसिक रूप से स्वस्थ रह पायेंगे।
यह आवश्यक भी है।
प्रेम आपको स्वतंत्रता देती है , जबकि मोह, वासना आपको अंदर हीं अंदर खोखला बना सकता है।
सबसे ज़रूरी, आपको स्वयं से इश्क करना है।
आपको पहले सिर्फ़ आपकी ज़रूरत है।
पूर्ण होना हीं इश्क है।
अपुर्ण प्रेमी कैसे किसी को पुर्ण प्रेम प्रदान करेगा।
उपनिषद कहता है
ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्पूर्णमुदच्यते ।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ॥
🌱🌱🌼🌼
इश्क मासूम हीं रह जाए तो अच्छा है।
देह से परे आत्मा में उतर जाए तो अच्छा है।❤️
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