"नाड़ी शोधन प्राणायाम करने की विधि "
विधि:
1. बैठने की स्थिति:
किसी शांत स्थान पर सुखासन (पद्मासन या वज्रासन) में आराम से बैठें। रीढ़ को सीधा रखें और आँखें बंद करें। ध्यान को अपनी सांसों पर केंद्रित करें।
स्वास्थ संबंधित कठिनाइयों में आप किसी भी कम्फ़र्टेबल तरीके से बैठकर अभ्यास करें।
2. हाथ की मुद्रा:
अपने दाहिने हाथ से *विश्णु मुद्रा* बनाएं। इसके लिए तर्जनी और मध्यमा उंगलियों को हथेली के अंदर मोड़ें, और अंगूठा, अनामिका व कनिष्ठा को बाहर रखें।
3. शुरुआत करें:
- दाहिने हाथ के अंगूठे से अपनी दाहिनी नासिका को बंद करें और बायीं नासिका से धीरे-धीरे गहरी श्वास लें।
- जब फेफड़े पूरी तरह भर जाएं, बायीं नासिका को अनामिका से बंद करें और दाहिनी नासिका खोलकर धीरे-धीरे श्वास छोड़ें।
4. विपरीत प्रक्रिया:
- अब दाहिनी नासिका से गहरी श्वास लें, फिर उसे अंगूठे से बंद करें और बायीं नासिका से श्वास छोड़ें।
5. समय और आवृत्ति:
- इसे 5-10 मिनट तक जारी रखें।
- प्रारंभ में 5 से 7 चक्र करें और धीरे-धीरे इसे बढ़ाकर 10-15 चक्र तक कर सकते हैं।
लाभ:
- मन की शांति और एकाग्रता बढ़ती है।
- श्वसन तंत्र को शुद्ध करता है।
- रक्तचाप संतुलित रहता है और तनाव कम होता है।
- मानसिक स्पष्टता और शांति मिलती है।
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