प्रेम: बुद्ध एवं पतंजलि के चार अनमोल संदेश जो आपके दिल को विशाल नदी सा बना देंगे।
हम अक्सर प्रेम की तलाश करते हैं, उसकी लालसा रखते हैं, और कभी-कभी उसकी चुनौतियों पर शोक भी मनाते हैं। दुनिया, जैसा कि एक व्यक्ति ने बुद्ध से कहा था, नकारात्मकता, छल और विश्वासघात से भरी प्रतीत होती है, जिससे हर किसी से प्रेम करने का विचार असंभव सा लगता है । ऐसे में कोई सचमुच प्रेम कैसे कर सकता है जब इतनी नकारात्मकता का सामना करना पड़े, जब कुछ व्यक्तियों को गले लगाना भी मुश्किल लगे ? बुद्ध ने इस संघर्ष को संबोधित करने के लिए एक गहरा दृष्टांत प्रस्तुत किया: कल्पना कीजिए कि एक छोटे बर्तन में पानी भरा है। यदि आप उसमें एक मुट्ठी नमक मिला दें, तो पानी पीने योग्य नहीं रहता । अब, एक विशाल नदी की कल्पना कीजिए। यदि आप उसी एक मुट्ठी नमक को नदी में फेंक दें, तो कोई फर्क नहीं पड़ता; पानी पीने योग्य रहता है, और आपको नमक का पता भी नहीं चलेगा । आपका हृदय, बुद्ध ने समझाया, उस पात्र के समान है । यदि यह छोटा है, एक बर्तन की तरह, तो दूसरों की थोड़ी सी नकारात्मकता भी आपको अभिभूत कर सकती है, जिससे आप बेचैन हो जाते हैं । लेकिन यदि आप अपने हृदय को नदी जितना विशाल बना सकते हैं, तो उसकी विशाल, प्रवाह...